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जब टीवी के खबरों की 'चिल्ल पों' में जब खुद की आवाज़ न सुनाई दे। तब चले आइये 'दमोह टुडे' पर यहां काम की लबालब खबरें और चौंकाने वाली रिपोर्ट्स तैयार हैं राजनीतिक पर्दे के पीछे की हर वो बात बताने के लिए जो बस अख़बारों की हैडलाइन में सिमट कर रह जाती है। हमाय यहां रोटी, कपड़ा और मकान से जुड़े हर वो बुनियादी सवाल होंगे जो गैर-जरुरी मुद्दे और चिल्ल पों में कहीं खो जाते हैं। ग्राउंड रिपोर्ट्स से इंटरव्यू और ऑब्जरवेशन से लेकर ओपिनियन तक, सब होगा अपने यहां।

हम ही क्यों भाई? 

काय की हम खबरों को उसकी प्रामाणिकता, सत्यता एवं गहराई से प्रस्तुत करने में विश्वास रखते है। वर्तमान समय में खबरों, सूचनाओं एवं जानकारियों का अंबार है। ऐसे में जरूरी है कि खबरें एवं जानकारियां यूजर्स एवं रीडर्स तक सत्यता और तेजी के साथ पहुंचें। काहे कि हम आप ही की प्रेमवाणी में इतिहास भी पढ़ाएंगे और पिच्चर भी दिखाएंगे। राजनीति भी बतियाएंगे और खेल भी खिलाएंगे। अब फ्री फंड में इस से ज़्यादा और का लेहो ?

बढ्ढे! जैसे हर पीली चीज सोना नहीं होती वैसे ही हर खबर सच्ची नहीं होती। इसलिए व्हाट्सएप और फेसबुकिया ग्रुप पढ़ कर अगा गए हो, तो मालिक सही जगह पधारे हो। बबलू पत्रकारों की सनसनी सुनकर कानों में दर्द है तो कानों को लहसुन डले गर्म सरसों के तेल का आराम और ठंडा-ठंडा कूल की व्यवस्था भी की गई है। यहां आपको राजनेताओं और ज्ञानियों की कुंडली के साथ-साथ पूरे इतिहास का पोथी-पन्ना यहीं मिलेगा। 

अगर टाइम मशीन होती तो आपको पीछे ही ले जाते। चूँकि वो तो संभव नईया, इसलिए इतिहासकारों की किताबों का हवाला देते हुए करेंगे चौपाल की चर्चा।

हम है कौन? 

हम आपके ही शहर की कुटिया के निवासी है जहां मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता न कर देश समस्याओं पर चिंता की जाती है। ज्ञान तो कुओं भर-भर कर है पर सिमटे 'सब लिखो बदो है' पर है। वैसे परिचय करवा देते है, नाम सौरभ विश्वकर्मा भईया उनके ऋषभ विश्वकर्मा। दमोह टुडे के जन्मदाता और संचालक है। जिनका नज़रिया  'का करने अपन खो!' से लेकर 'अपन खो सब करने है!' का हैं। 


अब अगर कोई और प्रशन है तो हमे सीधा लिखें ईमेल है : damohtodaymedia@gmail.com या फिर  कोई सुझाव या शिकायत हो तो यहां क्लिक करे हमारे कार्य को जारी रखनेे के सहयोग करें