Twitter पर दिखी Save Buxwaha Forest की गूंज, लोगों ने Trend कर किया कटाई का विरोध

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डिजीटल डेस्क। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा में लगभग 382 हेक्टेयर जंगल को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी पिछले 15 दिनों से सोशल मीडिया पर आवाज उठा रहे हैं. बक्सवाहा के लगभग 382 हेक्टेयर वन भूमि पर कटाई का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि इस क्षेत्र में एक हीरे की परियोजना प्रस्तावित है और एक प्रमुख निजी औद्योगिक समूह यहां हीरों के लिए खनन करने वाला है।

बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान के तहत आज पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक ट्विटर पर ट्रेंड चलाया गया। जिसका उद्देश्य बक्सवाहा जंगल के 2,15,875 पेड़ों की कटाई का विरोध करना था। ट्विटर पर #SaveBuxwahaForest और India With Buxwaha Forest हैशटैग का प्रयोग कर लोगों ने अपना विरोध दर्ज किया। इस अभियान में युवाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। 

दरअसल छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल में हीरे का विशाल खजाना मिला है। अनुमान है कि बक्सवाहा जंगल में 342 मिलियन कैरेट हीरे हैं। यह मात्रा पन्ना में हीरे के खजाने से पंद्रह गुना ज्यादा बताई जाती है। हालांकि, हीरे के इस खजाने को पाने के लिए, इस जंगल के मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों, अर्थात् हर्बल पौधों और अन्य सभी पेड़ों को काटना होगा। इसके लिए 382.131 हेक्टेयर जंगल को नष्ट करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जंगल की कटाई का स्थानीय लोग समेत बुंदेलखंड क्षेत्र के समस्त लोग विरोध कर रहे है।


बक्सवाहा में हीरे का खजाना पाने के लिए जमीन की खुदाई या गहरी खुदाई करनी होगी। इसके लिए वन विभाग ने यहां पेड़ों की गिनती की उनकी जनगणना के अनुसार बक्सवाहा के जंगल में 2,15,875 पेड़ हैं जिनकी कटाई कर माइनिंग की जानी है। माइनिंग कंपनी के प्रशासनिक अधिकारियों अनुसार इस परियोजना में 400 लोगो को रोज़गार दिया जायेगा।

कटाई के विरोध में राज्य भर से और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण प्रेमी हीरे की कीमत पर इस हरित आवरण को नष्ट करने के प्रस्तावित कदम के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, खासकर जब कोविड -19 महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी ने देश को झकझोर कर रख दिया था, जहां कम ऑक्सीजन के स्तर के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। 

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