राष्ट्रपति ने वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर श्रृद्धा सुमन अर्पित कर राज्य स्तरीय जनजातीय समुदाय को किया संबोधित

president ramnath kovind in damoh
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

दमोह। President Kovind Damoh Visit: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज दमोह (Damoh) के सिंग्रामपुर (Singrampur) में आयोजित राज्य स्तरीय जनजातीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम है, इसलिए जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिए प्रयास करना बहुत महत्वपूर्ण है।

 

इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और केंद्रीय जनजातीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में इस अंचल की प्रसिद्ध रानी दुर्गावती का स्मरण करते हुए कहा कि वे उन्हें देवी के रूप में सम्मान देते हैं। वे शौर्य और साहस का प्रतीक थीं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी का भी स्मरण किया और कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान ही केंद्र सरकार में एक अलग जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया गया था।


राष्ट्रपति ने जनजातीय शौर्य गाथा का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेजी हुकुमत के दौरान यदि हमारे आदिवासी भाई बहनों ने वीरता और पराक्रम का प्रदर्शन नहीं किया होता, तो हमारी अमूल्य वन संपदा का और भी बड़े पैमाने पर दोहन हो चुका होता। इस तरह उन्होंने हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रहरी और रक्षक की भूमिका निभायी है।

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राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदाय का स्वाधीनता संग्राम में गौरवशाली योगदान रहा है। इसलिए उनका सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। हमें इस बात को समझ लेना चाहिए कि आदिवासी समुदाय का कल्याण तथा विकास पूरे देश के कल्याण और विकास से जुड़ा हुआ है। इसी सोच के साथ केंद्र और राज्य की सरकारों द्वारा जनजातियों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

उन्होंने इस पर प्रसन्नता जतायी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के छह नए मंडलों का सृजन किया गया है। इन नए मंडलों में जबलपुर (Jabalpur) मंडल भी शामिल है, जिसकी शुरूआत आज हुयी है। साथ ही उन्होंने जनजातीय भाई बहनों से बहुत कुछ सीखने की जरुरत बताते हुए कहा कि जनजातीय समुदायों में एकता मूलक समाज को बनाए रखने पर जोर दिया गया है। उनमें स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।

राष्ट्रपति कोविंद (President Kovind) ने कहा कि जनजातीय समाज में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। उनकी संस्कृति में सहजता और परिश्रम को भी सम्मान दिया गया है और यह सब हमें सीखना चाहिए। यदि हमें मानवता की जड़ों से जुड़ना है तो जनजातीय समुदायों के जीवन मूल्यों को अपनी जीवनशैली में लाने का प्रयास करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदायों में परंपरागत ज्ञान का अक्षय भंडार संचित है। मध्यप्रदेश में बैगा समुदाय के लोग परंपरागत औषधियों व चिकित्सा विषय में बहुत जानकारी रखते हैं। आज के दौर में मेड इन इंडिया के साथ साथ हैंड मेड इंन इंडिया को भी प्रोत्साहित करने पर बल दिया जा रहा है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे जनजातीय भाई बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह सराहना की बात है कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन पर विशेष बल दिया जा जा रहा है। जनजातीय छात्राओं में साक्षरता और शिक्षा के प्रसार के लिए मध्यप्रदेश में कन्या शिक्षा परिसरों के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि हमारे जनजातीय भाई बहनों को आधुनिक विकास में भागीदारी करने का लाभ मिले और साथ ही उनकी जनजातीय पहचान व अस्मिता अपने सहज रूप में बनी रहे। इसके पहले सिंग्रामपुर में सिंगौरगढ़ किले (Singourgarh Fort) के संरक्षण कार्य का शिलान्यास भी किया गया।

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